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प्रकृति

गायत्री मंत्र

gayatri-mata

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र का जप विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, इसका प्रत्येक शब्द और शब्दांश गहरा प्रतीकवाद लिए हुए है

ओम (ओम्):यह सार्वभौमिक ध्वनि है और परम वास्तविकता या चेतना का प्रतिनिधित्व करता है।

भूर् भुवः स्वः:ये तीन शब्द सामूहिक रूप से सांसारिक, भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में दिव्य अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें अक्सर आध्यात्मिक जागृति और मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना के रूप में समझा जाता है।

तत् सवितुर वरेण्यम:मंत्र का यह भाग सूर्य देव, सविता की दिव्य रोशनी का आह्वान है, जो आध्यात्मिक रोशनी और ज्ञान की मांग करता है।

भर्गो देवस्य धीमहि:यहां, अभ्यासकर्ता दिव्य प्रकाश का ध्यान करता है और उसकी शुद्ध और उज्ज्वल प्रकृति का चिंतन करता है।

धियो यो नः प्रचोदयात्:मंत्र का समापन बुद्धि को दिव्य प्रकाश द्वारा निर्देशित और प्रेरित करने की प्रार्थना के साथ होता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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