गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र हिंदू धर्म में सबसे प्रतिष्ठित और व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले मंत्रों में से एक है। इसे अस्तित्व में सबसे पुराने और सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। यह मंत्र हिंदू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से एक ऋग्वेद में पाया जाता है। यह संस्कृत में रचा गया है और सूर्य देवता को समर्पित है।
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र का जप विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, इसका प्रत्येक शब्द और शब्दांश गहरा प्रतीकवाद लिए हुए है
ओम (ओम्):यह सार्वभौमिक ध्वनि है और परम वास्तविकता या चेतना का प्रतिनिधित्व करता है।
भूर् भुवः स्वः:ये तीन शब्द सामूहिक रूप से सांसारिक, भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में दिव्य अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें अक्सर आध्यात्मिक जागृति और मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना के रूप में समझा जाता है।
तत् सवितुर वरेण्यम:मंत्र का यह भाग सूर्य देव, सविता की दिव्य रोशनी का आह्वान है, जो आध्यात्मिक रोशनी और ज्ञान की मांग करता है।
भर्गो देवस्य धीमहि:यहां, अभ्यासकर्ता दिव्य प्रकाश का ध्यान करता है और उसकी शुद्ध और उज्ज्वल प्रकृति का चिंतन करता है।
धियो यो नः प्रचोदयात्:मंत्र का समापन बुद्धि को दिव्य प्रकाश द्वारा निर्देशित और प्रेरित करने की प्रार्थना के साथ होता है।