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भैरव गायत्री मंत्र | काल भैरव

bhairav

ॐ कालभैरवाय विद्महे कर्मदण्डाय धीमहि। तन्नो भैरवः प्रचोदयात्॥

मंत्र के लाभ

  1. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
  2. साहस, आत्मविश्वास और मन की शांति।
  3. जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा।
  4. तंत्र बाधाओं और अशुभ प्रभावों को समाप्त करना।

जप विधि

  1. मंत्र का जाप प्रातःकाल या रात्रि के समय शांत वातावरण में करें।
  2. काले वस्त्र धारण करके रुद्राक्ष माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।
  3. भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
यह मंत्र साधक को भगवान भैरव की कृपा और शक्ति का अनुभव करने का एक मार्ग प्रदान करता है। भैरव गायत्री मंत्र मंत्र भैरव को समर्पित एक मंत्र है। जिसे काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है। भैरव भगवान शिव का वह स्वरूप हैं जो समय की गति पर नज़र रखते हैं। जो व्यक्ति भगवान भैरव की पूजा करता है उसे शत्रुओं पर विजय, भौतिक सुख-सुविधाएं और सफलता मिलती है। भगवान भैरव की पूजा करने से कष्टों और पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है। सूर्योदय के समयभैरव गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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