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विष्णु गायत्री मंत्र

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ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित एक गायत्री मंत्र है। यहाँ अर्थ है

ओम - एक पवित्र शब्दांश जो सार्वभौमिक ध्वनि और परम वास्तविकता के सार का प्रतिनिधित्व करता है। श्री विष्णवे च विद्महे - "हम भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं" (विष्णु की दिव्य उपस्थिति और गुणों को स्वीकार करते हुए)। वासुदेवाय धीमहि - "हम वासुदेव का चिंतन करते हैं" (भगवान कृष्ण का दूसरा नाम, जो विष्णु के अवतार हैं)। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् - "वह विष्णु हमें प्रेरित और प्रबुद्ध करें। कुल मिलाकर, यह मंत्र भगवान विष्णु से आध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका आशीर्वाद मांगने की प्रार्थना है। यह विष्णु के दिव्य स्वरूप के प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है और भक्त को धार्मिकता और ज्ञान की ओर ले जाने के लिए उनके प्रभाव की प्रार्थना करता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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