मासिक कृष्ण जन्माष्टमी – महत्व, पूजन विधि और लाभ
13 मार्च 2025, गुरुवार, को फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा व्रत है।
हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। प्रचलित परंपरा के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन इसके अतिरिक्त हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है। यह व्रत भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायी और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला होता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
- <यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के लिए समर्पित है।
- इसे करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- व्रत रखने वाले जातक को पापों से मुक्ति और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो संतान सुख, सफलता और मान-सम्मान की इच्छा रखते हैं।
पूजन विधि
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- दिनभर उपवास रखकर शाम के समय श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएँ।
- पीतांबर (पीले वस्त्र) पहनाएँ और मक्खन-मिश्री का भोग लगाएँ।
- धूप, दीप, पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- रात्रि में निशीथ काल (मध्यरात्रि) में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएँ।
- भजन-कीर्तन के साथ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के लाभ
- भक्त के जीवन से कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं।
- घर-परिवार में सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है।
- व्यापार और नौकरी में उन्नति और सफलता मिलती है।
- दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
- भक्त को भगवान श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मासिक और वार्षिक जन्माष्टमी में अंतर
- वार्षिक जन्माष्टमी भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाई जाती है।
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी प्रत्येक माह की कृष्ण अष्टमी को व्रत और पूजन के रूप में मनाई जाती है।
- दोनों का महत्व अत्यधिक है, परंतु मासिक व्रत को नियमित साधना माना जाता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हर भक्त को नियमित रूप से करना चाहिए। इससे न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है बल्कि जीवन के समस्त कष्ट दूर होकर आनंद और समृद्धि का संचार होता है।
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