सर्व पितृ अमावस्या : महत्व, श्राद्ध विधि और तिथि

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सर्व पितृ अमावस्या, जिसे महालय अमावस्या भी कहा जाता है, पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन समस्त पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में यह दिन उन सभी पितरों के लिए श्राद्ध करने का अवसर माना जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश बाकी रह गया हो।

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व

  • इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
  • मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
  • पितृ दोष निवारण के लिए भी यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • परिवार में सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए सर्व पितृ अमावस्या पर विशेष पूजन किया जाता है।

    श्राद्ध और तर्पण विधि

    • प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
    • काला तिल, कुशा, जल और जौ से तर्पण करें।
    • पितरों के नाम स्मरण करते हुए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करना चाहिए।
    • ब्राह्मण भोजन कराना और दान देना इस दिन शुभ माना जाता है।

  • आगामी सर्व पितृ अमावस्या की तिथियाँ
    • 21 सितंबर 2025, रविवर
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