दक्ष सावर्णि मन्वादि - महत्व, कथा और पूजा विधि
"मन्वन्तर" का अर्थ होता है मनु का कालखंड। प्रत्येक मन्वन्तर में एक मनु होते हैं जो उस अवधि के अधिपति और सृष्टि के संचालनकर्ता माने जाते हैं।
मन्वादि का अर्थ है नए मन्वन्तर का प्रारम्भ।
वर्तमान ब्रह्मा के दिन में 14 मन्वन्तर होते हैं। अभी हम वैवस्वत मन्वन्तर (7वां) में चल रहे हैं। दक्ष सावर्णि मन्वन्तर (9वां) भविष्य का मन्वन्तर है, जो वैवस्वत और सावर्णि मन्वन्तर के बाद आएगा।
विशेषताएँ (पुराणों के अनुसार)
- इस मन्वन्तर के मनु होंगे: दक्ष सावर्णि।
- इस काल के इन्द्र होंगे: अधिभूत।
- सप्तर्षि होंगे: द्युतिमत, हरि, क्रतु, आपांमित्र, पराशर, निश्चर, दृष्टा।
- मुख्य देवता होंगे: आदित्य, वैद्युत, प्रतर्दन।
- इस काल के अवतार: सार्वभौम (भगवान विष्णु का रूप)।
धार्मिक महत्व
पंचांग में "दक्ष सावर्णि मन्वादि" की तिथि इसलिए लिखी जाती है क्योंकि यह भविष्य के मन्वन्तर का प्रारंभ बिंदु है।
जब यह समय आता है, तब विशेष पूजा-व्रत, दान-पुण्य, और विष्णु/ब्रह्मा की आराधना करना शुभ माना जाता है।
संक्षेप में, दक्ष सावर्णि मन्वादि एक नए युग (मन्वन्तर) का प्रारंभ है, जो वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर के आगे आने वाले भविष्य के कालचक्र का सूचक है।
आगामी दक्ष सावर्णि मन्वादि की तिथियाँ
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