ब्रह्मचारिणी पूजा | माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप की आराधना

brahmacharini

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली देवी। इन्हें तपस्विनी स्वरूप माना जाता है और इनकी आराधना से तप, संयम, आत्मबल और ज्ञान की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी को कमंडल और जपमाला धारण किए हुए दर्शाया गया है। वे साधना और संयम की देवी हैं और भक्तों को त्याग, तपस्या और दृढ़ इच्छाशक्ति का वरदान प्रदान करती हैं।

ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • कलश स्थापना करें और दीपक जलाएँ।
  • उन्हें अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प और माला अर्पित करें।
  • चीनी, मिश्री या गुड़ का भोग लगाएँ।
  • दुर्गा सप्तशती या देवी स्तुति का पाठ करें।
  • "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र का जाप करें।

ब्रह्मचारिणी पूजा में अर्पित सामग्री

  • फूल (विशेषकर चमेली और गेंदे के)
  • अक्षत, रोली और चंदन
  • धूप और दीपक
  • मिश्री, गुड़ और शक्कर
  • कलश जल
  • मौली और लाल वस्त्र

ब्रह्मचारिणी पूजा का लाभ

  • मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  • तप, संयम और धैर्य की शक्ति प्राप्त होती है।
  • विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
  • साधक की साधना पूर्ण होती है और जीवन में सफलता मिलती है।

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