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संहिता ज्योतिष | जीवन के रहस्यों का प्राचीन विज्ञान

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संहिता ज्योतिष वैदिक ज्योतिष का वह भाग है जो व्यापक स्तर पर प्राकृतिक, सामाजिक, और भौगोलिक घटनाओं का अध्ययन करता है। यह ज्योतिष का व्यावहारिक और सामूहिक दृष्टिकोण है, जो समाज, देश, और दुनिया के कल्याण और घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग किया जाता है। "संहिता" शब्द का अर्थ है "संग्रह" या "समूह," और संहिता ज्योतिष मुख्यतः मौसम, भूकंप, युद्ध, राजनीति, महामारी, आर्थिक स्थिति, और प्राकृतिक आपदाओं जैसी घटनाओं का विश्लेषण करता है।

संहिता ज्योतिष के मुख्य विषय

संहिता ज्योतिष में समाज और पृथ्वी से जुड़े कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, जैसे:
प्राकृतिक आपदाएँ
भूकंप, तूफान, बाढ़, सूखा, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं की भविष्यवाणी। ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर इन आपदाओं का समय और प्रभाव निर्धारित करना।
मौसम विज्ञान (Meteorology)
वर्षा, गर्मी, सर्दी, और मानसून का पूर्वानुमान। कृषि, फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के लिए उपयोगी।
राजनीतिक और सामाजिक घटनाएँ
देश में राजनीतिक स्थिरता, युद्ध, विद्रोह, और अन्य सामाजिक उथल-पुथल की भविष्यवाणी। यह भविष्यवाणी करता है कि ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव समाज और राष्ट्र पर कैसे पड़ेगा।
आर्थिक भविष्यवाणी
आर्थिक उन्नति या मंदी, व्यापार में उतार-चढ़ाव, और बाजार के रुझान। देश की समृद्धि और आर्थिक स्थिति पर ग्रहों का प्रभाव।
महामारी और स्वास्थ्य संकट
समाज में महामारी, रोग, और बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संकट की भविष्यवाणी। ग्रहों की स्थिति के आधार पर उपाय और समाधान सुझाए जाते हैं।
यात्रा और दिशाओं का महत्व
दिशाशूल, यात्रा के लिए शुभ और अशुभ समय का निर्धारण। विदेश यात्रा और व्यापारिक मार्गदर्शन।
मणि और वास्तु अध्ययन
रत्नों और वास्तु से जुड़ी समस्याओं का समाधान। भूमि और घर की स्थिति का विश्लेषण।

संहिता ज्योतिष के मुख्य आधार

ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति
नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) और 27 नक्षत्रों का अध्ययन। विशेष रूप से सूर्य और चंद्र ग्रहण का प्रभाव।
गोचर (ग्रहों का वर्तमान स्थान)
वर्तमान समय में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव का समाज पर अध्ययन।
सूर्य सिद्धांत और खगोलीय गणनाएँ
सूर्य सिद्धांत और खगोलीय घटनाओं का उपयोग प्राकृतिक और सामाजिक घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए किया जाता है।
दिशा और समय का प्रभाव
दिशाओं का विश्लेषण: उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम का अलग-अलग महत्व। दिन, तिथि, नक्षत्र, और योग के अनुसार शुभ और अशुभ समय का निर्धारण।
चतुर्मास और अयन
वर्ष के विभाजन, जैसे उत्तरायण (सूर्य उत्तर की ओर), दक्षिणायण (सूर्य दक्षिण की ओर), और इनका प्रभाव।

संहिता ज्योतिष में ग्रहों का महत्व

सूर्य: प्राकृतिक घटनाओं और मौसम में परिवर्तन का कारक। चंद्रमा: ज्वार-भाटा, वर्षा और मानसिक स्थिति पर प्रभाव। मंगल: युद्ध, उथल-पुथल और भूकंप। शनि: धीमी घटनाएँ, कष्ट और बदलाव। राहु-केतु: छाया ग्रह, जो अचानक और अप्रत्याशित घटनाओं का कारक माने जाते हैं।

संहिता ज्योतिष में समाधान

संहिता ज्योतिष न केवल घटनाओं की भविष्यवाणी करता है, बल्कि समस्याओं का समाधान भी सुझाता है।
  1. यज्ञ और अनुष्ठान प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक समस्याओं को कम करने के लिए।
  2. दान और पूजा ग्रहों के दोष निवारण के लिए।
  3. रत्न और यंत्र ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए।
  4. मंत्र जाप विशेष समस्याओं के समाधान के लिए।

संहिता ज्योतिष के ग्रंथ

संहिता ज्योतिष पर कई प्राचीन ग्रंथ लिखे गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
  1. बृहत् संहिता (वराहमिहिर): संहिता ज्योतिष का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ। इसमें मौसम, ग्रहण, वास्तु, और प्राकृतिक आपदाओं का विस्तृत वर्णन है।
  2. भविष्य पुराण: भविष्य की घटनाओं और उनके संकेतों का वर्णन।
  3. जयोतिष संहिता: सामाजिक और खगोलीय घटनाओं का अध्ययन।
संहिता ज्योतिष समाज और प्रकृति से जुड़ी बड़ी घटनाओं पर केंद्रित है। यह व्यापक दृष्टिकोण देता है और व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन दोनों में उपयोगी है।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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