नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की उपासना के लिए समर्पित है। माँ कालरात्रि को संहारक शक्ति माना जाता है, जो भक्तों के सभी भय और कष्टों का नाश करती हैं। इनकी पूजा से अज्ञान का अंधकार दूर होकर ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
- माँ कालरात्रि का शरीर काला है और वे अत्यंत तेजस्वी हैं।
- इनका वाहन गधा है।
- इनके चार हाथ हैं – एक में खड्ग, दूसरे में वज्र, तीसरे से वरदान और चौथे से अभय देती हैं।
- इनकी सांसों से अग्नि की ज्वालाएँ निकलती हैं।
पूजा विधि
- स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- माँ कालरात्रि की प्रतिमा/चित्र को गंध, अक्षत, धूप, दीप, और पुष्प अर्पित करें।
- इन्हें रक्तवर्णी पुष्प प्रिय हैं।
- गुड़ और जौ का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- मंत्र जप करें:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
- दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय का पाठ करें।
महत्व
- माँ कालरात्रि की पूजा से भय, भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियाँ नष्ट होती हैं।
- भक्त को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
- जीवन की सभी बाधाएँ दूर होकर सफलता और उन्नति मिलती है।
- आध्यात्मिक साधना में प्रगति होती है।