शनि त्रयोदशी : व्रत तिथि, महत्व, पूजा विधि और उपाय
हिंदू धर्म में शनि त्रयोदशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत शनि देव को प्रसन्न करने और जीवन से शनि दोष को दूर करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और कष्टों का निवारण होता है।
शनि त्रयोदशी व्रत का महत्व
- इस व्रत से शनि दोष और साढ़ेसाती के प्रभाव कम होते हैं।
- जीवन में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पारिवारिक कलह और कार्यस्थल की बाधाएँ दूर होती हैं।
- शनि देव की कृपा से कठिन परिस्थितियों से उबरने की शक्ति मिलती है।
शनि त्रयोदशी पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पीपल वृक्ष, शनि मंदिर या घर में शनि देव की पूजा करें।
- तिल का तेल, काला तिल, काला कपड़ा और शनि यंत्र अर्पित करें।
- शनि स्तोत्र, शनि चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को दान दें – विशेषकर तिल, तेल और काले वस्त्र।
शनि त्रयोदशी पर किए जाने वाले उपाय
- इस दिन पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- काले कुत्ते या कौवे को रोटी खिलाना शनि प्रसन्नता का कारक है।
- हनुमान जी की उपासना और सुंदरकांड पाठ करना भी उत्तम है।
निष्कर्ष
शनि त्रयोदशी व्रत शनि देव की कृपा पाने और जीवन के कष्टों को कम करने का एक प्रभावी साधन है। श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करने से शनि देव विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
आगामी शनि त्रयोदशी की तिथियाँ
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04 अक्टूबर 2025, शनिवार
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18 अक्टूबर 2025, शनिवार
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