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संतान सप्तमी व्रत का महत्त्व

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संतान सप्तमी व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो संतान की प्राप्ति और संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का पालन मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं करती हैं, जो संतान सुख की कामना करती हैं या अपनी संतानों के कल्याण और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं।

संतान सप्तमी व्रत का महत्व

संतान सुख:

इस व्रत का पालन संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में समस्या होती है, वे इस व्रत को विशेष रूप से करती हैं।

संतानों का कल्याण:

जिन महिलाओं के पास संतान हैं, वे अपनी संतानों की लंबी आयु, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:

यह व्रत भगवान सूर्य, माता पार्वती, और संतान गणेश की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है।

संतान सप्तमी व्रत की कथा

संतान सप्तमी व्रत से जुड़ी एक प्रमुख कथा है: एक समय की बात है, एक गरीब ब्राह्मण दंपति थे जिनके पास कोई संतान नहीं थी। वे दोनों संतान की प्राप्ति के लिए बहुत दुखी थे और निरंतर भगवान की उपासना किया करते थे। एक दिन ब्राह्मण को सपने में भगवान सूर्य देव ने दर्शन दिए और उन्हें संतान सप्तमी व्रत करने का आदेश दिया। ब्राह्मण दंपति ने विधिपूर्वक इस व्रत का पालन किया और उन्हें एक सुंदर और बुद्धिमान संतान प्राप्त हुई। तभी से यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए विशेष रूप से माना जाता है।

संतान सप्तमी व्रत की विधि

प्रातः काल स्नान:

प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।

पूजा की तैयारी:

पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां पर भगवान सूर्य, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

सूर्य देव की पूजा:

सूर्य देव को अर्घ्य दें और जल, लाल पुष्प, चावल, और तिल अर्पित करें।

व्रत कथा का पाठ:

संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें और ध्यानपूर्वक सुनें।

संतान की सुख-समृद्धि की प्रार्थना: अपनी संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

व्रत का पालन:

दिनभर व्रत रखें और ब्राह्मण भोजन के बाद ही स्वयं भोजन करें। संतान सप्तमी व्रत एक पवित्र और श्रद्धा से भरा हुआ व्रत है जिसे महिलाएं संतान सुख और संतानों के कल्याण के लिए करती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार में सुख, समृद्धि और आनंद का संचार भी करता है। संतान सप्तमी व्रत के पालन से भक्तों को भगवान सूर्य, माता पार्वती, और भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी संतानें दीर्घायु, स्वस्थ और समृद्ध होती हैं।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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