फाल्गुन अमावस्या : पूजा विधि, महत्व और व्रत कथा
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। यह दिन स्नान, दान, पितृ तर्पण और शिव-पूजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। फाल्गुन अमावस्या का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
- दान-पुण्य से दरिद्रता दूर होती है और घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
- भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से जीवन में समृद्धि आती है।
फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
- भगवान शिव और विष्णु की पूजा करें।
- पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
- जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन और धन का दान करें।
- संध्या समय दीपदान करें और भजन-कीर्तन करें।
फाल्गुन अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए स्नान, दान और पितृ तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यह दिन आध्यात्मिक साधना के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। फाल्गुन अमावस्या से लाभ
- पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- धन, सुख और समृद्धि की वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- जीवन की कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं।
आगामी अमावस्या की तिथियाँ
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21 अक्टूबर 2025, मंगलावर कार्तिक अमावस्या
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21 अक्टूबर 2025, मंगलावर दर्श अमावस्या
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19 नवंबर 2025, बुधवार दर्श अमावस्या
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20 नवंबर 2025, गुरुवर मार्गशीर्ष अमावस्या
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19 दिसंबर 2025, शुक्रवार पौष अमावस्या
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19 दिसंबर 2025, शुक्रवार दर्श अमावस्या
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