पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से गणेश जी की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत हर महीने की संकष्टी चतुर्थी को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से पौष माह में पड़ने पर अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करके भक्त उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों से मुक्त होते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
पुराणों में वर्णित है कि एक समय की बात है, एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। उसका नाम भद्रेश था। वह अत्यंत पुण्यशील और भगवान गणेश का भक्त था। लेकिन वह गरीब था और उसके पास कुछ भी नहीं था। घर में हर वक्त कोई न कोई परेशानी चलती रहती थी। एक दिन ब्राह्मण ने सुना कि जो व्यक्ति पौष माह की संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करेगा, वह शीघ्र ही समृद्धि, सुख, और शांति का अनुभव करेगा। ब्राह्मण ने इस दिन व्रत करने का निश्चय किया और पूरी श्रद्धा से व्रत का पालन किया। व्रत के दिन उसने स्नान करके भगवान गणेश की पूजा की, उनके सामने मोदक, गुड़, नारियल, और ताजे फल अर्पित किए। उसने विशेष रूप से "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप किया और पूरे दिन उपवासी रहे। पूजा के बाद, उसने ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराया और उनका आशीर्वाद लिया।व्रत के परिणामस्वरूप चमत्कारी परिवर्तन
भगवान गणेश उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गए और ब्राह्मण के जीवन में एक चमत्कारी परिवर्तन हुआ। उसकी दरिद्रता दूर हो गई, और वह समृद्ध हो गया। उसके व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई और घर में सुख-शांति का वास हुआ। धीरे-धीरे, ब्राह्मण का नाम और यश पूरे गाँव में फैल गया। उसने अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जीवन की खुशियों का आनंद लिया। भगवान गणेश की कृपा से उसकी सभी समस्याएँ समाप्त हो गईं, और उसने इस व्रत को प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी को श्रद्धा से निभाया। ब्राह्मण ने इसे हर साल अपने जीवन का हिस्सा बना लिया और इसके द्वारा अनगिनत लोगों को गणेश पूजा के लाभ के बारे में बताया।पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की विधि
व्रत का नियम
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पवित्र हो जाएं।
- उपवासी रहें और पूरे दिन भगवान गणेश की पूजा करें।
- व्रति को संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा और ध्यान में मन लगाना चाहिए।
पूजन सामग्री
भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र, मोदक, नारियल, दूर्वा घास, गुड़, ताजे फल, दूध, शहद, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर), और दीपक।पूजन विधि
- प्रातःकाल भगवान गणेश का ध्यान करें और उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
- मोदक और फल अर्पित करें।
- "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
- रात्रि को गणेश जी की आरती करें और व्रत का पारण (उपवास खोलना) सही समय पर करें।
- पूजा के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और दान करना चाहिए।