नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और साधना के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार साल में दो बार आता है:
चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल)
शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर)।
शारदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों तक मनाई जाती है। इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो इस प्रकार हैं:
                    
                    - शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
नवरात्रि व्रत विधि
नवरात्रि में व्रत रखना शुभ माना जाता है। यह नौ दिन का व्रत शक्ति, संयम और भक्ति का प्रतीक है। व्रत विधि इस प्रकार है: व्रत प्रारंभ करने से पहले: संकल्प: नवरात्रि व्रत शुरू करने से पहले शुद्धता का संकल्प लें और देवी दुर्गा की पूजा का संकल्प करें। स्नान: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। कलश स्थापना: घर के पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। यह नौ दिनों के व्रत का प्रमुख अंग है। कलश में जल भरकर उस पर नारियल और आम के पत्ते रखें और पूजा स्थल पर रखें।व्रत के नियम
- उपवास रखने वाले व्यक्ति को फलाहार या सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। जैसे कि फल, दूध, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, और साबूदाना आदि।
- प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से बचें।
- प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा, आरती, और मंत्र जाप करें।
- व्रत रखने के दौरान संयमित और शांत रहकर, भक्ति के साथ दिन व्यतीत करें।
- व्रत का समापन नवमी या अष्टमी को कन्या पूजन करके करें। इस दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लें।
नवरात्रि कथा
नवरात्रि की कथा महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच हुए युद्ध से जुड़ी हुई है। महिषासुर एक राक्षस था, जिसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके अजय होने का वरदान प्राप्त किया। वह देवताओं और पृथ्वीवासियों पर अत्याचार करने लगा। उसके आतंक से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान विष्णु और भगवान शिव से सहायता मांगी। तब त्रिदेवों ने अपनी शक्ति से देवी दुर्गा को प्रकट किया। महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच नौ दिनों तक भीषण युद्ध हुआ। अंततः नवरात्रि के दसवें दिन, जिसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और धर्म की स्थापना की। इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि सत्य की विजय और असत्य का नाश होता है।पूजा सामग्री:
- माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र
- कलश, नारियल, आम के पत्ते
- धूप, दीप, कपूर
- फूल, रोली, कुमकुम, चावल
- गंगाजल, दूध, शहद, घी, चीनी (पंचामृत)
- फल, मिठाई, प्रसाद
पूजा विधि:
- पूजा स्थल की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और पूजा सामग्री को व्यवस्थित रखें।
- कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। इसमें जल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- माँ दुर्गा का आवाहन: दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या देवी के मंत्रों का पाठ करते हुए देवी का आवाहन करें।
- दीप प्रज्वलन: देवी के समक्ष दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
- आरती और प्रसाद: देवी की आरती करें, फूल अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
- कन्या पूजन: नवरात्रि के अष्टमी या नवमी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। नौ कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार और आशीर्वाद प्राप्त करें।
नवरात्रि के विशेष दिन:
- अष्टमी: अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है और इस दिन दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है।
- नवमी: नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है और कन्या पूजन के साथ व्रत समाप्त होता है।
आगामी नवरात्रि प्रारंभ की तिथियाँ
- 11 अक्टूबर 2026, रविवर
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                 
                