दुर्गा, हिंदू धर्म में शक्ति और विजय की देवी हैं। वे भगवान शिव की पत्नी पार्वती का एक उग्र और युद्धक रूप हैं, जिन्हें महिषासुरमर्दिनी (महिषासुर का वध करने वाली) के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा की पूजा नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से की जाती है।
दुर्गा जी के आठ हाथ होते हैं, जिनमें वे विभिन्न शस्त्र और प्रतीक धारण करती हैं, जो उनकी सर्वशक्तिमानता और युद्ध कौशल का प्रतीक हैं।
उनका वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।
कथाएँ:
महिषासुर वध: दुर्गा जी की सबसे प्रसिद्ध कथा है महिषासुर वध की। महिषासुर नामक दानव के अत्याचारों से देवता त्रस्त थे। तब सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों से दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और अंत में दशहरे के दिन उसका वध किया।
नवदुर्गा: दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि में की जाती है। ये हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।
दुर्गा जी की आराधना से भक्तों को शक्ति, साहस, और विजय प्राप्त होती है। वे नारी शक्ति का प्रतिरूप हैं और उनके विभिन्न रूपों की पूजा से जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता और संतुलन प्राप्त होता है।
दुर्गा पूजा विशेष रूप से दुर्गा पूजा या नवरात्रि के त्योहार के दौरान मनाई जाती है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन देवी के नौ रूपों, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है, की पूजा होती है। दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है।
दुर्गा का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों, पुराणों, और महाकाव्यों में मिलता है, जहाँ उन्हें शक्ति और साहस की देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। उनके प्रमुख रूपों में काली, पार्वती, और अंबिका शामिल हैं, जो विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।