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पंचांग :नाग करण

नाग करण हिंदू पंचांग में 11 करणों में से एक है। करण तिथि का आधा भाग होता है, और नाग करण को अशुभ और संघर्षमय माना जाता है। इसका उपयोग शुभ कार्यों के लिए अनुशंसित नहीं है।

नाग करण की विशेषताएँ

प्रकृति
नाग करण को अशुभ और उथल-पुथल पैदा करने वाला माना जाता है। इसे संकट और बाधाओं से जोड़कर देखा जाता है।
समय
नाग करण नियमित रूप से चंद्रमा की गति और तिथि के आधार पर आता है। इसका सटीक समय पंचांग में दर्ज होता है।
प्रभाव
इस करण के दौरान शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नए कार्यों की शुरुआत, से बचा जाना चाहिए। यह करण कठिन परिश्रम, संघर्ष, और गंभीर निर्णयों से जुड़ा होता है।
नाग करण के दौरान सावधानियां
महत्वपूर्ण कार्यों को इस समय करने से बचें। शांत और संयमित रहकर किसी भी अनावश्यक विवाद या तनाव से बचने का प्रयास करें। आध्यात्मिक साधना या पूजा-पाठ इस समय मानसिक शांति प्रदान कर सकता है।

नाग करण का ज्योतिषीय महत्व

यह करण पंचांग के अन्य घटकों के साथ दिन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।नाग करण का प्रभाव उस समय की तिथि, नक्षत्र, योग, और वार के साथ मिलकर कार्यों की सफलता या विफलता को निर्धारित करता है। यदि नाग करण के दौरान कोई कार्य अनिवार्य हो, तो शुभ मुहूर्त निकालने के लिए किसी ज्योतिषी से परामर्श करें।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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