मोक्षदा एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा और उनके आशीर्वाद से मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे 'गंगा एकादशी' भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान करने की परंपरा है। मोक्षदा एकादशी का व्रत अत्यधिक फलदायी होता है और यह व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
पुराणों में मोक्षदा एकादशी के संबंध में एक बहुत प्रसिद्ध कथा है, जिसे सुनकर भक्तों के मन में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और विश्वास बढ़ जाता है। यह कथा एक ब्राह्मण के जीवन से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण का नाम वसुदेव था और वह बहुत ही पुण्यशाली और धार्मिक व्यक्ति था। वह नियमित रूप से सभी व्रतों का पालन करता था, लेकिन उसे मोक्ष प्राप्ति की इच्छा थी। एक दिन उसने अपने गुरु से पूछा, "गुरुजी, मुझे मोक्ष की प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?" गुरु ने वसुदेव को मोक्षदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। गुरु ने कहा, "हे ब्राह्मण! यह एकादशी व्रत मोक्ष प्रदान करने वाली है। अगर तुम इसे सच्चे मन से रखोगे, तो तुम्हारे सारे पाप समाप्त हो जाएंगे और तुम मुक्ति प्राप्त कर सकोगे।" वसुदेव ने गुरु की बात मानी और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा। वह पूरे दिन उपवासी रहे, भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया और रातभर जागकर भजन-कीर्तन किया। उन्होंने पूरे मन, श्रद्धा और विश्वास से इस व्रत का पालन किया।व्रत के बाद वसुदेव का जीवन
वसुदेव ने मोक्षदा एकादशी का व्रत सच्चे मन से किया और इसके फलस्वरूप उनका जीवन बदल गया। एकादशी के दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश हुआ और वसुदेव को भगवान श्री कृष्ण का दर्शन हुआ। भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि अब वह इस जन्म में ही मोक्ष प्राप्त करेंगे और भवसागर से पार हो जाएंगे। वसुदेव के साथ-साथ उनका परिवार भी इस व्रत के प्रभाव से खुशहाल और समृद्ध हो गया। उन्हें किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आया और वे शांति से अपने जीवन का समय बिता सके। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान के आशीर्वाद से मोक्ष की प्राप्ति करता है।मोक्षदा एकादशी व्रत की विधि
व्रत का नियम
- मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
- इस दिन उपवासी रहें और भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करें।
- रात में जागरण करें और भजन-कीर्तन में भाग लें।
पूजन सामग्री
- भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र, दीपक, तुलसी के पत्ते, अक्षत, फूल, फल, मोदक, दूध, दही, पंचामृत, गंगाजल।
पूजन विधि
- इस दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करें और उनका पूजन करें।
- भगवान श्री कृष्ण के चित्र या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें और उनकी पूजा करें।
- "ॐ श्री कृष्णाय नमः" मंत्र का जाप करें।
- दिनभर उपवासी रहें और रात को भजन-कीर्तन करें।
- व्रत के अंतिम दिन (द्वादशी को) व्रत का पारण करें और गरीबों को भोजन कराएं।
मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
- पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति:
- इस व्रत के करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धन और सुख-शांति की प्राप्ति
इस व्रत से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।भगवान श्री कृष्ण की कृपा
मोक्षदा एकादशी व्रत के करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में समस्याओं का नाश होता है।जय श्री कृष्ण! जय मोक्षदा एकादशी!
आगामी एकादशी की तिथियाँ
- 01 नवंबर 2025, शनिवार देवउत्थान एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार गुरुवायूर एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार मोक्षदा एकादशी
- 15 दिसंबर 2025, सोमवार सफला एकादशी