banner image

महा मृत्युंजय मंत्र

महा मृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

मन्त्र का अनुवाद हम त्रि-नेत्रीय शिव का ध्यान करते हैं, जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित और बढ़ावा देते हैं। जैसे ककड़ी अपने तने से मुक्त हो जाती है, वैसे ही हम मृत्यु से मुक्त हों, अमरत्व से नहीं।

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का एक अति प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है, जिसे मृत्यु के भय और रोगों से मुक्ति पाने के लिए जप किया जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है और इसे "त्र्यंबकं मंत्र" भी कहा जाता है। इसका पाठ संकटों से रक्षा करने और दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है।

अर्थ

ॐ त्र्यंबकं यजामहे: हम उस त्रिनेत्र वाले (भगवान शिव) की पूजा करते हैं।

सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्: जो जीवन के सुगंध और पोषण का स्त्रोत हैं।

उर्वारुकमिव बन्धनान्: जिस प्रकार ककड़ी (खरबूजा) बेल से बिना नुकसान के अलग हो जाती है।

मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्: उसी प्रकार हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हों और अमरत्व प्राप्त करें।

यह मंत्र स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, और इसे जीवन की कठिनाइयों और विपत्तियों को दूर करने के लिए जप किया जाता है।

मित्रों के साथ साझा करें
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

© https://www.nakshatra.app/. All Rights Reserved.