माघ अमावस्या : पूजा विधि, महत्व और व्रत कथा

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हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या कहा जाता है। इसे स्नान, दान और पितृ तर्पण के लिए विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन किया गया धार्मिक कार्य कई गुना फल देता है।

माघ अमावस्या का महत्व

  • गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।
  • पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर होती है।
  • यह दिन साधना, जप और ध्यान के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है।

माघ अमावस्या पूजा विधि

  1. प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान या घर पर पवित्र जल से स्नान करें।
  2. सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  3. पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
  4. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
  5. भगवान विष्णु और शिव की पूजा कर दीपदान करें।

माघ अमावस्या व्रत कथा

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा में स्नान और पितृ तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे आशीर्वाद स्वरूप परिवार को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। इसी कारण इस दिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज संगम पर स्नान और पूजा के लिए एकत्रित होते हैं।

माघ अमावस्या से लाभ

  1. पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  2. धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।
  4. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

आगामी अमावस्या की तिथियाँ
  • 21 अक्टूबर 2025, मंगलावर कार्तिक अमावस्या
  • 21 अक्टूबर 2025, मंगलावर दर्श अमावस्या
  • 19 नवंबर 2025, बुधवार दर्श अमावस्या
  • 20 नवंबर 2025, गुरुवर मार्गशीर्ष अमावस्या
  • 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार दर्श अमावस्या
  • 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार पौष अमावस्या
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