संधि पूजा – महत्व, विधि और संधिकाल का महत्व

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संधि पूजा दुर्गा पूजा और नवरात्रि के दौरान की जाने वाली सबसे विशेष पूजा मानी जाती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी तिथि के संधिकाल (मध्य समय) में की जाती है। इस समय को अत्यंत शुभ और शक्तिशाली माना जाता है, क्योंकि देवी दुर्गा ने इसी संधि काल में महिषासुर का वध किया था। संधि पूजा का समय बहुत ही सीमित होता है — कुल 48 मिनट (24 मिनट अष्टमी और 24 मिनट नवमी)। इस दौरान माँ दुर्गा को 108 दीपक, 108 कमल या अपराजिता पुष्प और बलिदान (कुम्हड़ा, केला, नारियल आदि) अर्पित किए जाते हैं। बंगाल और पूर्वी भारत में इसे विशेष भव्यता से किया जाता है।

संधि पूजा का महत्व

  • यह पूजा अष्टमी और नवमी की संधि पर देवी की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है।
  • इस समय साधना, मंत्र जाप और हवन करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है।
  • मान्यता है कि इस काल में पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

संधि पूजा की विधि

  • संधिकाल के 48 मिनट का सही समय देखें।
  • माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएँ।
  • देवी को 108 दीपक और 108 पुष्प अर्पित करें।
  • धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएँ।
  • देवी मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

आगामी संधि पूजा की तिथियाँ
  • 30 सितंबर 2025, मंगलावर
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