इंदिरा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी विशेष रूप से पितरों की मुक्ति और तर्पण के लिए समर्पित होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पितृदोष का नाश होता है।
इंदिरा एकादशी को पितृपक्ष की एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ पितरों के लिए तर्पण करने का विशेष महत्व होता है।
                    
                    इंदिरा एकादशी का महत्व
- इस दिन उपवास और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
- पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत एवं पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- तुलसी दल अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
- उपवास रखें और केवल फलाहार या निर्जल व्रत का पालन करें।
- संध्या समय भगवान विष्णु की आरती करें और व्रत कथा सुनें।
आगामी एकादशी की तिथियाँ
- 01 नवंबर 2025, शनिवार देवउत्थान एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार गुरुवायूर एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार मोक्षदा एकादशी
- 15 दिसंबर 2025, सोमवार सफला एकादशी
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                 
                