बंगाल विजयादशमी | महत्व, परंपरा और विजयादशमी उत्सव
बंगाल विजयादशमी (Bijoya Dashami) दुर्गा पूजा के समापन का प्रतीक है और बंगाल में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन माँ दुर्गा की विदाई का होता है, जब भक्तगण देवी को जल में विसर्जित करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
इस दिन को विजय का पर्व कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की विजय स्थापित की थी। बंगाल में दुर्गा पूजा का पाँच दिन का उत्सव (षष्ठी से दशमी तक) बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है और दशमी के दिन माँ को विदा कर ‘बिजोया’ (विजय) का संदेश फैलाया जाता है।
बंगाल विजयादशमी की परंपराएँ
- देवी विसर्जन: माँ दुर्गा की प्रतिमा को जुलूस के साथ नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है।
- सिंदूर खेला (Sindoor Khela): विवाहित महिलाएँ एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर माँ दुर्गा से सुहाग व परिवार की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं।
- बिजोया संदेश: लोग एक-दूसरे को ‘शुभो बिजोया’ कहकर मिठाई खिलाते हैं और बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं।
- भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन घर-घर में विशेष व्यंजन बनते हैं और लोग आपसी मेल-जोल बढ़ाते हैं।
बंगाल विजयादशमी का महत्व
- यह दिन बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।
- माँ दुर्गा को विदाई देने के साथ यह नए आरंभ और जीवन में सकारात्मकता का प्रतीक है।
- बिजोया दशमी भाईचारे, प्रेम और एकता का संदेश देती है।
आगामी बंगाल विजयादशमी की तिथियाँ
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