प्रेम सरोवर छाड़ के तू,
अटके है क्यों चित्त की चाहन में,
जहाँ गेंदा गुलाब अनेक खिलें,
बैठे क्यों करील की छाहँन में,
दुनिया का बन कर देख लिया,
श्यामा का बन कर देख ज़रा,
राधा नाम में कितनी शक्ति है,
इस राह पर चल कर देख ज़रा,
दुनिया के चक्कर में पड़ कर,
कई जनम युही बर्बाद किये,
अब शरण में श्यामा की आ कर,
तू नाम सुमीर कर देख ज़रा॥
राधा नाम में कितनी मस्ती है,
यह पूछो इन दीवानों से,
इस प्रेम के प्याले को प्राणी,
एक बार तो पी कर ज़रा,
जो भक्ति मार्ग पर चलते हैं,
वो जग में अमर हो जाते हैं,