चैत्र पूर्णिमा व्रत : तिथि, महत्व, पूजा विधि, कथा और सत्यनारायण पूजा विशेष

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हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा व्रत किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से हनुमान जयंती और सत्यनारायण पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन किए गए व्रत, स्नान, हवन और दान से अपार पुण्य प्राप्त होता है।

चैत्र पूर्णिमा का महत्व

  • इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए सत्यनारायण व्रत का आयोजन किया जाता है।
  • धार्मिक स्नान, दान और पूजन से पापों का क्षय होता है।
  • यह दिन आध्यात्मिक साधना और भक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि

  1. प्रातःकाल पवित्र नदी या घर पर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु और हनुमान जी की प्रतिमा/चित्र की पूजा करें।
  3. सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें।
  4. पंचामृत, फल, मिष्ठान्न और तुलसीदल अर्पित करें।
  5. रात्रि में दीपदान और भजन-कीर्तन करें।

चैत्र पूर्णिमा व्रत कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। वे अंजनी और केसरी के पुत्र तथा पवनदेव के अंशावतार माने जाते हैं। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु के भक्त सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन करते हैं। कथा सुनने और करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।

चैत्र पूर्णिमा व्रत से लाभ

  1. साहस, शक्ति और भक्ति की प्राप्ति होती है।
  2. सभी संकट दूर होकर जीवन में सुख-शांति आती है।
  3. भगवान विष्णु और हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है।

सत्यनारायण पूजा विशेष

  • पूजा का समय: संध्या काल में सत्यनारायण पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।
  • आवश्यक सामग्री: कलश, गंगाजल, पंचामृत, पान-सुपारी, नारियल, तुलसी पत्ते, पंचामृत, फल और मिष्ठान्न।
  • विधि:
    1. पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
    2. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं और गंगाजल से स्नान कराएं।
    3. सत्यनारायण कथा का पाठ करें और भोग अर्पित करें।
    4. पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।
महत्व: इस दिन सत्यनारायण पूजा करने से धन-संपत्ति की वृद्धि होती है, परिवार में एकता बनी रहती है और जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।

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