तुला संक्रांति : तिथि, महत्व और पूजा विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव प्रत्येक राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। साल में 12 संक्रांतियाँ होती हैं, जिनमें से तुला संक्रांति विशेष मानी जाती है। इस दिन सूर्यदेव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करते हैं। इसे दान, पुण्य और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
तुला संक्रांति का महत्व
- तुला संक्रांति पर स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है।
- यह दिन सूर्य उपासना और पितृ तर्पण के लिए शुभ माना जाता है।
- तुला संक्रांति को दक्षिण भारत में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
तुला संक्रांति पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- तांबे के पात्र में जल, लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्पित करें।
- तुलसी का पूजन करें और दीपक जलाएँ।
- गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
- सूर्य मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।
तुला संक्रांति पर दान का महत्व
- तुला संक्रांति के दिन दान करने का विशेष फल मिलता है।
- अन्न दान से अन्न की कभी कमी नहीं होती।
- वस्त्र दान से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- गौ दान और अन्न दान को अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।
- विशेष रूप से इस दिन तिल, गुड़ और तांबे का दान शुभ माना जाता है।
तुला संक्रांति केवल ज्योतिषीय दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह धर्म और अध्यात्म से भी जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन स्नान, सूर्योपासना और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
आगामी संक्रांति की तिथियाँ
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17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार तुला संक्रांति
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