तैतिल करण भारतीय पंचांग के 11 करणों में से एक है। करण तिथि का आधा भाग होता है, और प्रत्येक दिन दो करण होते हैं। तैतिल करण को "मिश्रित फलदायी" करण माना जाता है। इसका स्वभाव थोड़ा कठिन और अस्थिर होता है, लेकिन सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कुछ कार्यों के लिए लाभकारी हो सकता है।
तैतिल करण का महत्व
मिश्रित परिणाम:
तैतिल करण का स्वभाव स्थिर और कठोर होता है, इसलिए इसे कुछ कार्यों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ माना जाता है।  कठिन कार्यों और संघर्ष के लिए यह करण उपयुक्त होता है।
धार्मिक और तांत्रिक गतिविधियां
 तैतिल करण में तांत्रिक साधना, मंत्र जाप, और विशेष पूजा-पाठ करना लाभकारी होता है। इस करण का उपयोग संकटों से बचने और समस्याओं का समाधान निकालने के लिए किया जा सकता है।
आर्थिक और कानूनी मामलों में सतर्कता
आर्थिक लेन-देन और कानूनी कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए।
तैतिल करण का स्वभाव
    प्रकृति:कठिन और संघर्षमय।
 शुभता: स्थिरता और धैर्य की आवश्यकता होती है।
ग्रह प्रभाव: इसका प्रभाव विशेष रूप से चंद्रमा और मंगल पर निर्भर करता है, जो इसे ऊर्जावान और सक्रिय बनाता है।
तैतिल करण में क्या करें
धार्मिक साधना: इस समय में तांत्रिक साधना, मंत्र जाप, और शत्रुनाशक अनुष्ठान करना लाभकारी होता है।
रचनात्मक कार्य:कठिन और लंबे समय तक चलने वाले प्रोजेक्ट्स की शुरुआत के लिए यह करण उपयोगी हो सकता है।
समस्याओं का समाधान:इस करण का उपयोग संघर्षों और समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है।
तैतिल करण में क्या न करें
शुभ कार्यों से बचें:  विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए यह करण अशुभ माना जाता है।
बड़े निर्णय लेने से बचें:    इस समय में व्यापारिक और कानूनी निर्णय सावधानीपूर्वक लें।
तैतिल करण की गणना
पंचांग के अनुसार, तैतिल करण चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर आता है। यह हर तिथि के आधे भाग में स्थान लेता है।
तैतिल करण का ज्योतिषीय महत्व
तैतिल करण का उपयोग संघर्षपूर्ण परिस्थितियों का समाधान निकालने और कठिन कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, शुभ कार्यों में इसका उपयोग करने से बचना चाहिए।
विशेष सलाह
तैतिल करण के दौरान कार्य करने से पहले ज्योतिषाचार्य की सलाह लेना उचित होगा, ताकि आप इसके प्रभावों को बेहतर ढंग से समझ सकें और इसका सही उपयोग कर सकें।