सुकर्मा योग भारतीय ज्योतिष में एक शुभ योग है, जो पंचांग में योग के 27 प्रकारों में से एक है। सुकर्मा का शाब्दिक अर्थ होता है "सत्कर्म करने वाला" या "शुभ कर्मों के लिए प्रेरित करने वाला।" इसे अत्यधिक शुभ और मंगलकारी योग माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों का सकारात्मक फल मिलता है।
सुकर्मा योग के गुण
शुभता का प्रतीक
इस योग में आरंभ किए गए कार्य सफल होते हैं और दीर्घकालिक लाभ देते हैं। यह योग पुण्य कार्यों, दान, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उत्तम माना जाता है।
आध्यात्मिक कार्यों के लिए उत्तम
सुकर्मा योग में पूजा-पाठ, हवन, मंत्र जप, और यज्ञ करना विशेष फलदायक होता है। यह समय अध्यात्मिक प्रगति के लिए उपयुक्त है।
व्यापार और निवेश
व्यापार में निवेश, भूमि खरीद, और नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए यह समय बहुत अच्छा है।
समस्याओं का समाधान
इस योग में किए गए प्रयासों से कठिन कार्य भी आसानी से पूरे हो जाते हैं।
सुकर्मा योग में क्या करना चाहिए
धार्मिक और सामाजिक कार्य
धार्मिक स्थलों की यात्रा करें। समाज सेवा और दान जैसे कार्य करें।
आध्यात्मिक साधना
ध्यान और मंत्र जप करें। गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करें।
महत्वपूर्ण निर्णय
नौकरी, विवाह, और व्यापार से जुड़े बड़े निर्णय इस समय करें।
शुभ कार्य
गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, शिक्षा आरंभ, विवाह आदि के लिए यह योग शुभ माना जाता है।
सुकर्मा योग में क्या न करें
नकारात्मकता
क्रोध, हिंसा, या किसी प्रकार की नकारात्मक गतिविधि से बचें।
अनैतिक कार्य
अनैतिक कार्य और छल-कपट करने से इस योग का लाभ नहीं मिलता।
सुकर्मा योग का महत्व
भारतीय संस्कृति में यह योग अच्छे कर्मों और धार्मिक गतिविधियों के लिए आदर्श समय माना जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार होता है।
नोट: किसी भी योग का प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली और वर्तमान गोचर स्थिति पर भी निर्भर करता है। यदि आप विशेष कार्य के लिए सुकर्मा योग का उपयोग करना चाहते हैं, तो ज्योतिषाचार्य से परामर्श करना उचित है।
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