श्री खाटू श्याम चालीसा | श्री गुरु चरणन ध्यान धर

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॥ दोहा॥

श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद । श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।

॥ चौपाई ॥

श्याम-श्याम भजि बारंबारा । सहज ही हो भवसागर पारा ॥1 इन सम देव न दूजा कोई । दिन दयालु न दाता होई ॥2 भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया । कही भीम का पौत्र कहलाया ॥3 यह सब कथा कही कल्पांतर । तनिक न मानो इसमें अंतर ॥4 बर्बरीक विष्णु अवतारा । भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥5 बासुदेव देवकी प्यारे । जसुमति मैया नंद दुलारे ॥6 मधुसूदन गोपाल मुरारी । वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥7 सियाराम श्री हरि गोबिंदा । दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥8 दामोदर रण छोड़ बिहारी । नाथ द्वारिकाधीश खरारी ॥9 राधाबल्लभ रुक्मणि कंता । गोपी बल्लभ कंस हनंता ॥ 10 मनमोहन चित चोर कहाए । माखन चोरि-चारि कर खाए ॥11 मुरलीधर यदुपति घनश्यामा । कृष्ण पतित पावन अभिरामा ॥12 मायापति लक्ष्मीपति ईशा । पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥13 विश्वपति जय भुवन पसारा । दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥14 प्रभु का भेद न कोई पाया । शेष महेश थके मुनिराया ॥15 नारद शारद ऋषि योगिंदरर । श्याम-श्याम सब रटत निरंतर ॥16 कवि कोदी करी कनन गिनंता । नाम अपार अथाह अनंता ॥17 हर सृष्टी हर सुग में भाई । ये अवतार भक्त सुखदाई ॥18 ह्रदय माहि करि देखु विचारा । श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥19 कौर पढ़ावत गणिका तारी । भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥ 20 सती अहिल्या गौतम नारी । भई श्रापवश शिला दुलारी ॥21 श्याम चरण रज चित लाई । पहुंची पति लोक में जाही ॥22 अजामिल अरु सदन कसाई । नाम प्रताप परम गति पाई ॥23 जाके श्याम नाम अधारा । सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥24 श्याम सलोवन है अति सुंदर । मोर मुकुट सिर तन पीतांबर ॥25 गले बैजंती माल सुहाई । छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥26 श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती । श्याम दुपहरि कर परभाती ॥27 श्याम सारथी जिस रथ के । रोड़े दूर होए उस पथ के ॥28 श्याम भक्त न कही पर हारा । भीर परि तब श्याम पुकारा ॥29 रसना श्याम नाम रस पी ले । जी ले श्याम नाम के ही ले ॥ 30 संसारी सुख भोग मिलेगा । अंत श्याम सुख योग मिलेगा ॥31 श्याम प्रभु हैं तन के काले । मन के गोरे भोले-भाले ॥32 श्याम संत भक्तन हितकारी । रोग-दोष अध नाशे भारी ॥33 प्रेम सहित जब नाम पुकारा । भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥34 खाटू में हैं मथुरावासी । पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥35 सुधा तान भरि मुरली बजाई । चहु दिशि जहां सुनी पाई ॥36 वृद्ध-बाल जेते नारि नर । मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥37 हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई । खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥38 जिसने श्याम स्वरूप निहारा । भव भय से पाया छुटकारा ॥39

॥ दोहा ॥

श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार । इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार ॥ इति श्री खाटू श्याम चालीसा ॥

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