श्री दक्षिणकाली मंत्र | रोग दोष मुक्ति
क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
मंत्र का अर्थ
- "क्रीं" – यह माँ काली का बीज मंत्र है, जो शक्ति, विनाश और पुनर्जन्म का प्रतीक है।
- "ह्रुं ह्रीं" – यह ध्वनि माँ काली की उग्र शक्ति को जाग्रत करने और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए जपी जाती है।
- "दक्षिणेकालिके" – यह विशेष रूप से माँ दक्षिणा काली को संबोधित करता है, जो त्वरित कृपा, शत्रु नाश और तांत्रिक सिद्धियों की देवी हैं।
- "स्वाहा" – इसका अर्थ है समर्पण, जिससे साधक अपनी ऊर्जा माँ काली को अर्पित करता है।
मंत्र जप के लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा, तंत्र बाधा और भय से मुक्ति
- आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धि और आत्मबल की प्राप्ति
- शत्रु नाश और सुरक्षा कवच
- माँ काली की कृपा से जीवन में उन्नति और बाधा निवारण
जप विधि
- इस मंत्र का 108 बार या किसी विशेष साधना में निर्धारित संख्या में जप करें।
- सप्तशती पाठ या हवन में इस मंत्र का उच्चारण बहुत प्रभावी होता है।
- जप के समय माँ काली का ध्यान करें और पूरी श्रद्धा के साथ मंत्र को सिद्ध करने का प्रयास करें।
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