डिफ़ॉल्ट
गर्म
प्रकृति

शारदीय नवरात्रि दिन 9 – माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि और महत्व

Siddhidatri
शारदीय नवरात्रि का नवम और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों और शक्तियों की दात्री मानी जाती हैं। इनकी आराधना से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, ज्ञान, सुख, समृद्धि और मुक्ति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप

माँ सिद्धिदात्री कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं और उनके चार भुजाएँ हैं। वे गदा, चक्र, शंख और कमल धारण करती हैं। माँ का वाहन सिंह है और उनका स्वरूप अत्यंत करुणामयी व सौम्य है।

पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  • उन्हें लाल फूल, अक्षत, चंदन और धूप अर्पित करें।
  • माँ को सफेद भोग जैसे खीर, हलवा या नारियल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • देवी कवच, सिद्धिदात्री स्तुति और देवी मंत्रों का जाप करें।
  • इस दिन कन्या पूजन और उन्हें भोजन कराने की परंपरा है।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और व्यक्ति को सफलता, धन, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन नवरात्रि के समापन का प्रतीक है और विजयादशमी की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

लोकप्रिय टैग

भजन और भक्ति गीत संग्रह दुर्गा माता भजन और गीत | माँ शक्ति संग्रह कृष्ण भजन और गीत | राधा-कृष्ण भक्ति संगीत संग्रह हनुमान भजन और गीत | बजरंगबली संग्रह राम भजन और गीत | प्रभु श्रीराम की स्तुति संग्रह