शारदीय नवरात्रि का नवम और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों और शक्तियों की दात्री मानी जाती हैं। इनकी आराधना से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, ज्ञान, सुख, समृद्धि और मुक्ति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं और उनके चार भुजाएँ हैं। वे गदा, चक्र, शंख और कमल धारण करती हैं। माँ का वाहन सिंह है और उनका स्वरूप अत्यंत करुणामयी व सौम्य है।पूजा विधि
- सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- उन्हें लाल फूल, अक्षत, चंदन और धूप अर्पित करें।
- माँ को सफेद भोग जैसे खीर, हलवा या नारियल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- देवी कवच, सिद्धिदात्री स्तुति और देवी मंत्रों का जाप करें।
- इस दिन कन्या पूजन और उन्हें भोजन कराने की परंपरा है।