नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की आराधना के लिए समर्पित है। माँ कात्यायनी को आसुरी शक्तियों के संहारक रूप में पूजा जाता है। यह रूप वीरता, साहस और विजय का प्रतीक है।
माँ कात्यायनी का स्वरूप
- माँ कात्यायनी सिंह पर सवार रहती हैं।
- इनके चार हाथ हैं – दो में तलवार और कमल, एक से अभय और एक से वरदान देती हैं।
- यह रूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य आभा से युक्त है।
पूजा विधि
- स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
- माँ कात्यायनी की मूर्ति/चित्र को गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- इन्हें लाल पुष्प विशेष प्रिय हैं।
- शहद और गुड़ का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- मंत्र जप करें:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
- दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करना लाभकारी होता है।
महत्व
- माँ कात्यायनी की पूजा करने से शत्रु नाश होता है और साहस में वृद्धि होती है।
- अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है।
- विवाह योग की बाधाएँ दूर होती हैं।
- जीवन में विजय और सफलता प्राप्त होती है।