शरद नवरात्रि का पहला दिन देवी पूजा का प्रारंभ माना जाता है। इस दिन घटस्थापना की जाती है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। कलश स्थापना ही नवरात्रि पूजा की शुरुआत होती है और यह शुभ मुहूर्त में करना आवश्यक है।
घटस्थापना विधि
- एक मिट्टी के पात्र में जौ/गेहूँ बोए जाते हैं।
- उस पर जल से भरा कलश रखा जाता है, जिसमें आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है।
- कलश को देवी दुर्गा के प्रतीक के रूप में पूजित किया जाता है।
माता शैलपुत्री पूजा
- पहले दिन माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और नवरात्रि की प्रथम देवी मानी जाती हैं।
- माँ शैलपुत्री को लाल पुष्प, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित किया जाता है।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ और शैलपुत्री स्तोत्र का पाठ शुभ माना जाता है।
महत्व
- माँ शैलपुत्री पूजा से मनुष्य को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- यह दिन साधक को आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
- घटस्थापना से पूरे नवरात्रि का वातावरण पवित्र और ऊर्जावान बना रहता है।