सफला एकादशी का व्रत विशेष रूप से माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह व्रत खासतौर पर उन लोगों के लिए होता है जो अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की परेशानी, विशेष रूप से धन की कमी, या पारिवारिक संकट से जूझ रहे होते हैं। इस दिन व्रति भगवान श्री कृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। यह व्रत उन सभी लोगों के लिए फलदायी होता है जो सच्चे मन से इस व्रत को करते हैं।
सफला एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है, एक नगर में एक व्यापारी अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। वह बहुत ही ईमानदार और मेहनती व्यापारी था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी। वह किसी भी तरह से अपने घर का पालन नहीं कर पा रहा था। घर में चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो गया था। एक दिन व्यापारी ने अपने एक मित्र से अपनी परेशानी के बारे में कहा। मित्र ने उसे सफला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। उसने कहा, "अगर तुम इस व्रत को सच्चे मन से करेंगे, तो भगवान श्री कृष्ण की कृपा से तुम्हारा जीवन धन्य हो जाएगा।" व्यापारी ने मित्र की सलाह मानी और सफला एकादशी का व्रत रखने का निश्चय किया। वह दिन-रात भगवान श्री कृष्ण का नाम जपता और एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करता।व्रत के परिणामस्वरूप चमत्कारी परिवर्तन
व्रत के बाद व्यापारी का जीवन पूरी तरह से बदल गया। उसने भगवान श्री कृष्ण की पूजा की और उन पर विश्वास किया। कुछ समय बाद, भगवान की कृपा से उसकी व्यापार में वृद्धि हुई, और वह समृद्ध हो गया। उसे खूब धन और संपत्ति प्राप्त हुई। घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास हुआ। व्यापारी ने अपनी सफलता का श्रेय सफला एकादशी व्रत को दिया और पूरी श्रद्धा से इस व्रत को निभाने की सलाह अन्य लोगों को दी।सफला एकादशी व्रत की विधि
व्रत का नियम
- सफला एकादशी का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है।
- व्रति को दिनभर उपवास रखना चाहिए और रात्रि में जागरण करना चाहिए।
- इस दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
पूजन सामग्री
- भगवान श्री कृष्ण या भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, फूल, दीपक, तुलसी के पत्ते, दूध, दही, चंदन, अक्षत।
- विशेष रूप से फल, विशेष रूप से आम और नारियल, हल्दी और शहद का भी उपयोग करें।
पूजन विधि
- प्रातः स्नान करने के बाद श्री कृष्ण या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान को दूध, तुलसी के पत्ते, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ श्री कृष्णाय नमः" का जाप करें।
- रात्रि में जागरण करें और भगवान का भजन, कीर्तन करें।
सफला एकादशी व्रत का महत्व
धन-धान्य में वृद्धि
इस व्रत से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है और उसके घर में कोई कष्ट नहीं रहता।मनोकामनाओं की पूर्ति
जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।पारिवारिक सुख-शांति
इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार में कोई भी संकट नहीं आता।जय श्री कृष्ण! जय भगवान विष्णु!
आगामी एकादशी की तिथियाँ
- 01 नवंबर 2025, शनिवार देवउत्थान एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार गुरुवायूर एकादशी
- 01 दिसंबर 2025, सोमवार मोक्षदा एकादशी
- 15 दिसंबर 2025, सोमवार सफला एकादशी