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सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ गौरी सूत गणराज

सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ, गौरी सूत गणराज, तुम हो देवों के सरताज, दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।। गंगाजल स्नान कराऊँ, केसर चंदन तिलक लगाऊं, रंग बिरंगे फुल मे लाऊँ, सजा सजा तुमको पह्राऊ, लम्बोदर गजवदन विनायक, राखो मेरी लाज, तुम हो देवों के सरताज।। जो गणपति को प्रथम मनाता, उसका सारा दुख मीट जाता, रिद्धि सिध्दि सुख सम्पति पाता, भव से बेड़ा पार हो जाता, मेरी नैया पार करो, मैं तेरा लगाऊं ध्यान, तुम हो देवों के सरताज।। पार्वती के पुत्र हो प्यारे, सारे जग के तुम रखवाले, भोलेनाथ है पिता तुम्हारे, सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें, मेरे सारे दुख मीट जाये, देवों यही वरदान, तुम हो देवों के सरताज।। सबसे पहले तुम्हे मनाऊ, गौरी सूत गणराज तुम हो देवों के सरताज, दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।।
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