पौष अमावस्या : पूजा विधि, महत्व और व्रत कथा
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या व्रत किया जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, दान और धार्मिक स्नान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। साथ ही, इस दिन हनुमान जी और भगवान विष्णु की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है।
पौष अमावस्या का महत्व
- इस दिन गंगा या पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- यह दिन कालसर्प दोष, पितृ दोष और ग्रह बाधा से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
पौष अमावस्या पूजा विधि
- प्रातःकाल गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें।
- पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
- हनुमान जी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
- रात्रि में दीपदान कर भगवान का स्मरण करें।
पौष अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक मान्यता है कि पौष अमावस्या के दिन किया गया पितृ तर्पण और दान पितरों को तृप्त करता है और वे आशीर्वाद स्वरूप परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। इस दिन धार्मिक कार्य करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष अमावस्या से लाभ
- पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
- पाप नष्ट होकर पुण्य की वृद्धि होती है।
- पारिवारिक सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आगामी अमावस्या की तिथियाँ
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21 अक्टूबर 2025, मंगलावर कार्तिक अमावस्या
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21 अक्टूबर 2025, मंगलावर दर्श अमावस्या
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19 नवंबर 2025, बुधवार दर्श अमावस्या
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20 नवंबर 2025, गुरुवर मार्गशीर्ष अमावस्या
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19 दिसंबर 2025, शुक्रवार दर्श अमावस्या
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19 दिसंबर 2025, शुक्रवार पौष अमावस्या
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