कन्हैया - ना जी भर के देखा ना कुछ बात की भजन
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
करो दृष्टि अब तुम प्रभु करुना की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
जले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया
ये सुनी है कुंजन और व्याकुल है गईया
सुना दो उइन्हें अब तो धुन मुरली की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
हम बैठे है गम उनका दिल में ही पाले
भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले
ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूले
ओ कदमन की छाया ओ सावन के झूले
ना कोयल कुकू ना पपीहा की पी
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
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