वृषभ संक्रांति : महत्व, पूजा विधि और ज्योतिषीय प्रभाव

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हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य देव मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को वृषभ संक्रांति कहा जाता है। यह संक्रांति सामान्यत: मई माह में आती है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन से सूर्य वृषभ राशि में एक माह तक स्थित रहते हैं। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। व्रत रखने और गरीबों को भोजन कराना शुभ फलदायी माना जाता है। सूर्योपासना कर अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।

वृषभ संक्रांति के धार्मिक कार्य

  • प्रातःकाल पवित्र नदी या घर पर स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • तिल, गुड़, गेहूं और कपड़े का दान करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र प्रदान करें।
  • संध्या के समय सूर्य मंत्र का जाप करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

ज्योतिषीय महत्व

वृषभ राशि में सूर्य के प्रवेश से स्थिरता और धैर्य की वृद्धि होती है। इस समय किए गए नए कार्य लंबे समय तक स्थायी रहते हैं। यह संक्रांति भूमि, संपत्ति और परिवार से जुड़े कार्यों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। वृषभ संक्रांति पर दान, पुण्य और सूर्योपासना का विशेष महत्व है। इस अवसर पर किए गए कर्म व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

आगामी संक्रांति की तिथियाँ
  • 17 सितंबर 2025, बुधवार कन्या संक्रांति
  • 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार तुला संक्रांति
  • 16 नवंबर 2025, रविवर वृश्चिक संक्रांति
  • 16 दिसंबर 2025, मंगलावर धनु संक्रांति
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