कशी जाऊ मी वृंदावना मूरली वाजवितो कान्हा
कशी जाऊ मी वृंदावना
मूरली वाजवितो कान्हा
पैलतिरी हरी, वाजवी मूरली
नदी भरली भरली जमूना
कासे पितांबर कस्तूरी टिळक
कूंडल शोभे काना
कशी जाऊ मी वृंदावना
काय करू बाई, कूणाला सांगू
हरीनामाची सांगड आणा
नंदाच्या हरीने कौतूक केले
जाणे अंतरीच्या खूणा....
कशी जाऊ मी वृंदावना
एका जनार्दनी मनी म्हणा
देव महात्मे ना कळे कोणा
कशी जाऊ मी वृंदावना
मूरली वाजवितो कान्हा
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