जपले भोले का तू नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी, 
लीला जग में है न्यारी 
रे मेरे भोले भंडारी,
जपले भोले का तु नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी।।
आदि योगी तेरा नाम, 
कैलाशो पर तेरा धाम,
जैसे केदार और काशी, 
जैसे केदार और काशी,
रे मेरे भोले भंडारी,
जपले भोले का तु नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी।।
तू तो कालो का है काल, 
दुनिया कहती है महाकाल,
तूने दुनिया है तारी, 
तूने दुनिया है तारी,
रे मेरे भोले भंडारी,
जपले भोले का तु नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी।।
तेरे शीशे पर चंदा रे, 
जहां से बहती है गंगा रे,
इनकी शोभा है प्यारी, 
जिनकी शोभा है प्यारी,
वो मेरे भोले भंडारी,
जपले भोले का तु नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी।।
तुझसे मांगू क्या मैं आज, 
बिगड़े संभाले तू सब काज,
जिससे बिगड़ी बन जाती, 
जिससे बिगड़ी बन जाती,
‘भगत’ की बिगड़ी बन जाती,
जपले भोले का तु नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी।।
जपले भोले का तू नाम, 
बिगड़े बनते है सब काम,
लीला जग में है न्यारी, 
लीला जग में है न्यारी....
जपले भोले का तू नाम                                            
                    
                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                 
                