हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं
हम इनके भरोसे ही हर काम करते हैं
हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं
दुनिया ज़माने को बस ये बात खल रही है
पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है
वो जितना जलते हैं हम उतना निखरते हैं
हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं
मेरे बोलने से पहले मेरा काम हो रहा है
मेरी हैसियत से ज़्यादा मेरा नाम हो रहा है
हम इनकी गोदी में आराम करते हैं
हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं
हैं श्याम की बदौलत हर भोर ज़िन्दगी की
इनके ही हाथ में है अब डोर ज़िन्दगी की
मेरी साँसों की किश्तें मेरे श्याम भरते हैं
हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं
है श्याम आसरे पर अपनी ये ज़िंदगानी
आगाज़ भी इसी से इस पर ख़त्म कहानी
सोनू जीवन अपना इनके नाम करते हैं
हम श्याम के प्रेमी हैं हम श्याम पे मरते हैं