गणगौर व्रत का पर्व मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। गणगौर पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसमें भगवान शिव (गण) और माता पार्वती (गौर) की पूजा की जाती है।
गणगौर व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है, भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। वे एक वन में पहुंचे जहां कुछ स्त्रियां गणगौर की पूजा कर रही थीं। महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत किया और उनका आतिथ्य सत्कार किया।
माता पार्वती उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान दिया। उन्होंने कहा, "जो स्त्रियां इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करेंगी, उन्हें अखंड सौभाग्य, सुखमय जीवन और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।"
तब से यह व्रत गणगौर के नाम से प्रसिद्ध हुआ और विवाहित एवं अविवाहित महिलाएं इसे बड़ी श्रद्धा से करने लगीं।
गणगौर व्रत की विधि
- स्नान और शुद्धि: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गणगौर प्रतिमा: मिट्टी या लकड़ी की गणगौर (गणेश और गौर) की प्रतिमा बनाएं।
- पूजा की तैयारी: प्रतिमा को सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सजाएं।
- पूजन सामग्री: कलश, दूर्वा, गेंहू के अंकुर, रोली, अक्षत, फूल, जल, मेहंदी, और मिठाई रखें।
- पूजा विधि:
- गणगौर की प्रतिमा पर जल अर्पित करें।
- सिंदूर, चंदन, और फूल चढ़ाएं।
- माता गौर को गेंहू के अंकुर और सुहाग की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, आदि) अर्पित करें।
- कथा श्रवण:गणगौर व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- गीत और भजन: गणगौर माता की स्तुति में पारंपरिक गीत और भजन गाएं।
- व्रत का पालन: दिनभर व्रत रखें और फलाहार करें।
- व्रत का विसर्जन: गणगौर प्रतिमा का अगले दिन या व्रत समाप्त होने पर जल में विसर्जन करें।
व्रत का महत्व
गणगौर व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का प्रतीक है। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत योग्य वर की प्राप्ति का आशीर्वाद लाता है। यह पर्व सामुदायिक एकता, भक्ति, और सौहार्द का प्रतीक है। माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा से परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहती है।
गणगौर माता की जय!
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