“गजाननं भूतगणादि सेवितं” भगवान गणेश की स्तुति का अत्यंत प्रसिद्ध और शक्तिशाली श्लोक है। यह श्लोक प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत में बोला जाता है, ताकि सभी प्रकार के विघ्न, बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर हो सकें।
श्लोक
गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थ जम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारणं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
अर्थ (Meaning)
इस श्लोक का भावार्थ है — “मैं उस भगवान गणेश को नमन करता हूँ, जिनकी सेवा भूतगण और गण करते हैं, जो कपित्थ (कठल) और जम्बू (जामुन) फलों का सेवन करते हैं, जो माता उमा (पार्वती) के पुत्र हैं और जो सभी शोकों का नाश करने वाले हैं।”श्लोक का महत्व
- यह श्लोक सभी प्रकार के दुःख, भय और विघ्नों को समाप्त करने की शक्ति रखता है।
- यह हर शुभ आरंभ, पूजा या यात्रा से पहले बोला जाता है।
- यह स्मरण कराता है कि बिना गणेशजी की कृपा के कोई भी कार्य पूर्ण नहीं होता।
पाठ का लाभ
- जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
- मानसिक शांति, बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
- भक्त के जीवन में सफलता और समृद्धि का संचार होता है।
- गृह, व्यापार और शिक्षा में आने वाली बाधाएँ समाप्त होती हैं।
पाठ विधि
प्रतिदिन प्रातः स्नान के पश्चात भगवान गणेश के समक्ष दीपक जलाकर इस श्लोक का 11 बार जप करें। साथ में “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का भी उच्चारण करें। विशेष रूप से बुधवार और चतुर्थी तिथि को इसका जप अत्यंत शुभ माना गया है।विशेष तथ्य
यह श्लोक गणेश चतुर्थी, संकल्प, विवाह, गृह प्रवेश, या किसी नए प्रोजेक्ट के आरंभ में बोला जाता है। यह केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है। “गजाननं भूतगणादि सेवितं” श्लोक का जाप करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। यह श्लोक श्रद्धा और विश्वास के साथ उच्चारित करने पर चमत्कारिक परिणाम देता है।॥ श्री गणेशाय नमः ॥