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सरस्वती बलिदान – महत्व, विधि और लाभ

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सरस्वती बलिदान एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जो मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। माँ सरस्वती को विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। इस बलिदान का महत्व मुख्य रूप से उन स्थानों और अवसरों पर अधिक होता है जहाँ शिक्षा और विद्या का विशेष अनुष्ठान संपन्न होता है।

महत्व

  • सरस्वती बलिदान करने से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • विद्यार्थी, कलाकार और संगीतकार इस अनुष्ठान से विशेष लाभ प्राप्त करते हैं।
  • पापों का नाश होता है और विद्या का आलोक जीवन में स्थायी होता है।
  • देवी सरस्वती की कृपा से वाणी में मधुरता और कार्यों में सफलता मिलती है।

विधि

  • प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पीले वस्त्रों और पुष्पों से सजाएँ।
  • पीले फूल, सफेद वस्त्र, किताबें और वीणा का पूजन करें।
  • "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
  • सरस्वती वंदना एवं स्तोत्र का पाठ करें।
  • बलिदान स्वरूप सफेद या पीली मिठाई, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
आगामी सरस्वती बलिदान की तिथियाँ
  • 18 अक्टूबर 2026, रविवर
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