कार्तिक अमावस्या – महत्व, पूजा विधि और धार्मिक मान्यता

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कार्तिक अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को कहते हैं। यह दिन पितरों की शांति, लक्ष्मी पूजन और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। कार्तिक मास को स्वयं भगवान विष्णु का प्रिय माह माना गया है और इस दिन व्रत एवं दान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

कार्तिक अमावस्या का महत्व

  • इस दिन पितरों की शांति और मोक्ष की कामना से श्राद्ध, तर्पण और दान किया जाता है।
  • इसे धन-समृद्धि का दिन भी माना जाता है, क्योंकि कई स्थानों पर इस दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा है।
  • कार्तिक मास में स्नान, दीपदान और व्रत का विशेष महत्व है।
  • इस दिन किया गया दान अनंत गुना फल देने वाला माना जाता है।

पूजा विधि

  • प्रातः स्नान करके पवित्रता का पालन करें।
  • पीपल, तुलसी या भगवान विष्णु के मंदिर में दीपक जलाएँ।
  • पितरों के लिए तर्पण एवं पिंडदान करें।
  • लक्ष्मी पूजन करें और घर में दीपमालिका सजाएँ।
  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।

धार्मिक मान्यता

पुराणों में वर्णित है कि कार्तिक अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान और दीपदान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इसे पितृ तृप्ति और देव कृपा दोनों का दिन कहा गया है।

आगामी अमावस्या की तिथियाँ
  • 21 सितंबर 2025, रविवर सर्व पितृ अमावस्या
  • 21 सितंबर 2025, रविवर दर्श अमावस्या
  • 21 सितंबर 2025, रविवर आश्विन अमावस्या
  • 21 अक्टूबर 2025, मंगलावर दर्श अमावस्या
  • 21 अक्टूबर 2025, मंगलावर कार्तिक अमावस्या
  • 19 नवंबर 2025, बुधवार दर्श अमावस्या
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