आयुध पूजा – महत्व, पूजा विधि और नवरात्रि परंपरा

durga

आयुध पूजा (Ayudha Puja) नवरात्रि के अंतिम दिनों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत (कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल) में मनाया जाता है। इसका अर्थ है – हथियारों, औजारों और उपकरणों की पूजा। कहा जाता है कि त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी, तब उन्होंने अपने शस्त्रों की पूजा की थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हर वर्ष अष्टमी, नवमी या विजयादशमी के दिन यह पूजा की जाती है।

महत्व

  • शस्त्र और औजारों की पूजा कर उन्हें दिव्य शक्ति से युक्त माना जाता है।
  • यह पर्व कर्म, परिश्रम और साधनों के महत्व को दर्शाता है।
  • इस दिन लोग अपने हथियार, वाहन, औजार, मशीनें और किताबें आदि की पूजा करते हैं।
  • यह उत्सव नवरात्रि की पूजा का ही एक हिस्सा है और विजयादशमी से सीधे जुड़ा हुआ है।

पूजा विधि

  • प्रातः स्नान कर घर, दुकान और कार्यस्थल की सफाई की जाती है।
  • औजार, वाहन, मशीनें और किताबें आदि को धोकर सजाया जाता है।
  • फूल, नारियल, रोली, अक्षत और धूप-दीप से पूजन किया जाता है।
  • हथियारों के साथ देवी दुर्गा और भगवान विष्णु की भी पूजा होती है।
  • अगले दिन विजयादशमी को इन औजारों और वाहनों का पुनः प्रयोग आरंभ किया जाता है।

आगामी आयुध पूजा की तिथियाँ
  • 01 अक्टूबर 2025, बुधवार
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

© https://www.nakshatra.appAll Rights Reserved.