ध्रुव योग भारतीय पंचांग के अनुसार एक स्थिर और शुभ योग है। "ध्रुव" का अर्थ होता है "स्थिर" या "अटल," इसलिए इस योग को दृढ़ता और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है। ध्रुव योग में किए गए कार्य स्थिरता और दीर्घकालिक सफलता प्रदान करते हैं। यह योग विशेष रूप से उन कार्यों के लिए अनुकूल होता है जिनमें स्थायित्व और धैर्य की आवश्यकता होती है, जैसे कि व्यवसाय की स्थापना, भवन निर्माण, या किसी दीर्घकालिक योजना का शुभारंभ।
ध्रुव योग के लाभ
स्थायित्व और दीर्घकालिक सफलता: इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम लंबे समय तक टिकाऊ और स्थिर रहता है।
विकास और उन्नति: ध्रुव योग में नए कार्यों की शुरुआत करने से जीवन में उन्नति के अवसर मिलते हैं।
दृढ़ता का प्रतीक: यह योग दृढ़ संकल्प और धैर्य को बढ़ावा देता है, जो कार्य में सफलता का कारण बनता है।
ध्रुव योग में किए जाने वाले कार्य
भूमि और संपत्ति से जुड़े कार्य: भूमि खरीदने या भवन निर्माण जैसे स्थायी कार्य इस योग में करना लाभकारी माना जाता है।
व्यवसाय की स्थापना: नए व्यवसाय, उद्योग या व्यापार की शुरुआत करने के लिए ध्रुव योग का समय शुभ होता है।
दीर्घकालिक योजनाओं की शुरुआत: किसी दीर्घकालिक परियोजना की योजना बनाना, निवेश करना या किसी बड़ी योजना का आरंभ करना इस योग में शुभ होता है।
ध्रुव योग के दौरान क्या करें
धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य: इस योग में पूजा-पाठ, यज्ञ या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
स्थिरता के कार्य: ध्रुव योग में वे कार्य करने चाहिए जिनमें दीर्घकालिक स्थिरता की अपेक्षा होती है, जैसे भवन निर्माण, व्यापार आदि।
संयम और धैर्य: ध्रुव योग में किए गए कार्यों में धैर्य और संयम का होना जरूरी है, इससे सफलता और स्थिरता बनी रहती है।
ध्रुव योग का सही उपयोग करने से व्यक्ति के कार्यों में स्थायित्व और सफलता प्राप्त होती है।