श्री जगन्नाथ – पुरी जगन्नाथ मंदिर एवं रथ यात्रा

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श्री जगन्नाथ हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। वे मुख्य रूप से ओडिशा राज्य के पुरी में स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में पूजे जाते हैं। श्री जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी इस मंदिर में प्रतिष्ठित हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और यहाँ का वार्षिक रथयात्रा महोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। श्री जगन्नाथ को भगवान कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। श्री जगन्नाथ की मूर्ति अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियों से थोड़ी अलग है। उनकी मूर्ति लकड़ी की बनी होती है और हर बारह वर्ष के बाद इसे नवकलेवर नामक प्रक्रिया के तहत बदला जाता है। इस प्रक्रिया में एक विशेष प्रकार की नीम की लकड़ी से नई मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। जगन्नाथ शब्द का अर्थ है "संसार के स्वामी" (जग = संसार, नाथ = स्वामी)। भगवान जगन्नाथ को भक्तों के प्रति उनकी करुणा और प्रेम के लिए जाना जाता है। पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल रथों पर बैठाकर नगर में घुमाया जाता है। इस महोत्सव में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं और इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

श्री जगन्नाथ की महत्ता

भगवान विष्णु का अवतार: श्री जगन्नाथ को भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के रूप में पूजा जाता है। उन्हें सृष्टि के पालनकर्ता और भक्तों के रक्षक के रूप में माना जाता है। उनके भक्त उन्हें प्रेम और भक्ति का प्रतीक मानते हैं।

सार्वभौमिकता का प्रतीक: श्री जगन्नाथ को सार्वभौमिक देवता के रूप में देखा जाता है, जो सभी जाति, धर्म, और वर्गों के लिए समान हैं। उनकी पूजा बिना किसी भेदभाव के की जाती है, और उनके मंदिर के द्वार सभी के लिए खुले होते हैं। उनकी मूर्ति का आकार और स्वरूप भी अन्य देवताओं से अलग है, जो उनकी विशिष्टता को दर्शाता है।

भक्ति और प्रेम: भगवान जगन्नाथ भक्तों के लिए प्रेम, करुणा और भक्ति का प्रतीक हैं। उनकी पूजा और उनकी लीला भक्तों के हृदय में असीम प्रेम और श्रद्धा पैदा करती है। विशेष रूप से वैष्णव भक्तों के लिए, श्री जगन्नाथ की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर: पुरी का जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी अद्वितीय है। यहाँ हर दिन श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा की जाती है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है और भारतीय संस्कृति में इसका एक विशेष स्थान है। श्री जगन्नाथ को 'पतित पावन' के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सबको उद्धार देने वाले हैं, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, या स्थिति के हों। इस प्रकार, जगन्नाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और समर्पण का भी प्रतीक है।

श्री जगन्नाथ से जुड़े प्रमुख त्योहार

रथ यात्रा (कार उत्सव)

महत्व:यह श्री जगन्नाथ का सबसे प्रसिद्ध और भव्य त्योहार है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपनी विशाल रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं। इसे "रथ यात्रा" कहा जाता है, और लाखों भक्त इस पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं।

तिथि:यह आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।

उत्सव:पुरी में रथ यात्रा बहुत बड़े पैमाने पर आयोजित होती है, जिसमें तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं। भक्तगण इन रथों को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, और इस यात्रा को श्री जगन्नाथ के भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

स्नान यात्रा

महत्व: इस दिन श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं का सार्वजनिक स्नान कराया जाता है। इसे उनकी वार्षिक स्नान यात्रा कहा जाता है।

तिथि:ज्येष्ठ (मई-जून) महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

उत्सव:इस दिन भगवान की प्रतिमाओं को विशेष मंच पर लाया जाता है और उन्हें 108 घड़ों के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद भगवान को कुछ दिनों के लिए "बीमार" माना जाता है और उनकी प्रतिमाओं को मंदिर के अंदर रखा जाता है।

गुंडिचा यात्रा

महत्व: रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर कहा जाता है। वहाँ कुछ दिनों तक विश्राम करने के बाद वे वापस लौटते हैं।

तिथि:यह यात्रा रथ यात्रा के सात दिनों बाद होती है।

उत्सव:भक्त इस समय गुंडिचा मंदिर में भगवान की पूजा करते हैं, और यह यात्रा भगवान की लीलाओं को दर्शाती है।

नवकलेवर

महत्व:यह श्री जगन्नाथ की मूर्ति के पुनर्निर्माण का पर्व है, जो लगभग 12 से 19 वर्षों में एक बार मनाया जाता है।

उत्सव: इस दौरान भगवान की पुरानी मूर्तियों को नए मूर्तियों से बदल दिया जाता है। इसे अत्यंत पवित्र प्रक्रिया माना जाता है, और यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति

महत्व: इस दिन भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा की जाती है, और मंदिर में विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का दिन होता है।

उत्सव:पुरी में इस दिन भगवान को तिल और गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाता है, और भक्त भी इस पवित्र दिन को धूमधाम से मनाते हैं।

अनवसर दर्शन

महत्व:स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के लिए "बीमार" होते हैं और भक्तों को उनका दर्शन नहीं मिलता। इस अवधि के बाद, जब वे स्वस्थ होते हैं, तब भक्त उनका अनवसर दर्शन करते हैं।

उत्सव:यह पर्व भक्तों के लिए विशेष होता है, क्योंकि 15 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ का पहला दर्शन मिलता है।

श्री जगन्नाथ की महत्ता केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा और उनसे जुड़े त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखते हैं। पुरी का जगन्नाथ मंदिर और रथ यात्रा भारतीय संस्कृति और भक्ति के अद्वितीय प्रतीक हैं, जो हर वर्ष लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं।

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