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ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र

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ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुः शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वेग्रह गृहभानुरस्तथाः। सर्वे ग्रहाग्रहभानुसुतान्तकारी यः कस्तु सन्निन्द्र त्रिलोचनाय। भस्माङ्ग्राग त्रिनयनं विशालक्षम् नमामि तं शिरसा निक्षिपमि॥

श्लोक का अर्थ:

ब्रह्मा — ब्रह्मा जी, सृष्टि के रचयिता। मुरारी — भगवान विष्णु, जिन्होंने मुरासुर का वध किया। त्रिपुरांतकारी — भगवान शिव, जिन्होंने त्रिपुरासुर का अंत किया। भानुः — सूर्य देव, जो प्रकाश और ऊर्जा के स्रोत हैं। शशी — चंद्रमा, जो शीतलता और शांति का प्रतीक हैं। भूमिसुतो — मंगल ग्रह, जिन्हें भूमि का पुत्र कहा जाता है। बुधश्च — बुध ग्रह, बुद्धि और ज्ञान के अधिपति। गुरुश्च — बृहस्पति, देवगुरु और विद्या के प्रतीक। शुक्रः — शुक्र ग्रह, जिन्हें प्रेम, वैभव और समृद्धि का कारक माना जाता है। शनि — शनि देव, जो कर्मफल के दाता हैं। राहु — राहु ग्रह, जो अप्रत्याशित बदलावों और समस्याओं का कारण होते हैं। केतवः — केतु ग्रह, जो रहस्य, आध्यात्मिकता और कर्मयोग का प्रतीक हैं।

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र जिसे नव ग्रह मंत्र भी कहा जाता है, प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार, नौ ग्रह पूरे ब्रह्मांड पर लाभकारी और हानिकारक दोनों प्रभाव डाले है। सनातन सभ्यता और संस्कृति में इन खगोलीय पिंडों को देवताओं के रूप में पूजा जाता है। सदियों पुरानी मान्यताओं के अनुसार, सभी ग्रहों की स्तुति करके और उन्हें प्रसन्न करके, हम स्वाभाविक रूप से उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है और हमारे रास्ते में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पा सकते हैं। नतीजतन, पूरे इतिहास में, लोगों ने सभी शुभ प्रयासों में नौ ग्रहों की प्रशंसा की है, और यह माना जाता है कि हर कोई उनकी आराधना के माध्यम से आगे बढ़ता है।

एक प्रसिद्ध श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह श्लोक विभिन्न देवताओं और उनकी शक्तियों का स्मरण कर जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा की प्रार्थना करता है।

श्लोक का महत्व

यह श्लोक नवग्रहों और प्रमुख देवताओं की आराधना का प्रतीक है।इसका उच्चारण प्रातःकाल में करने से सभी ग्रहों और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से सुरक्षा प्राप्त होती है।यह श्लोक जीवन में शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

यह श्लोक समस्त ग्रहों और देवताओं को नमन करता है, ताकि वे जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन, सुरक्षा और शुभता प्रदान करें। प्रत्येक ग्रह और देवता की शक्ति और कृपा व्यक्ति के जीवन को सरल और समृद्ध बना सकती है, इसलिए इस श्लोक का जाप शुभ और फलदायी माना जाता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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