भगवान मेरी नईया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना
हम दिन दुखी निर्बल नित नाम रहे प्रतिपल
यह सोच दरश दोगे प्रभु आज नहीं तो कल
जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना
भगवान मेरी नईया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना
तुम शांति सुधाकर हो तुम ज्ञान दिवाकर हो
मम हंस चुगे मोती तुम मान सरोवर हो
दो बूंद सुधा रस की हम को भी पिला देना
भगवान मेरी नईया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना
रोकोगे भला कब तक दर्शन को मुझे तुमसे
चरणों में लिपट जाऊ वृक्षो से लता जैसे
अब द्वार खड़ी तेरी मुझे राह दिखा देना
भगवान मेरी नईया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना
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