मार्गशीर्ष अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पितरों को तर्पण और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह दिन काली माता, शिव जी और विष्णु भगवान की उपासना के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
- पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितृ शांति प्राप्त करते हैं।
- यह दिन नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए शुभ होता है।
- मार्गशीर्ष अमावस्या पर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं।
- इस तिथि को दान और स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान कर पवित्र संकल्प लें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें और पितरों के नाम से तर्पण करें।
- भगवान विष्णु, शिव और काली माता की पूजा करें।
- तिल, अन्न, वस्त्र और दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- शाम के समय नदी या सरोवर के तट पर दीपदान करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या के शुभ फल
- पितरों की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- व्यापार और नौकरी में प्रगति के योग बनते हैं।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- नकारात्मक शक्तियों और संकटों से रक्षा होती है।
आगामी अमावस्या की तिथियाँ
- 19 नवंबर 2025, बुधवार दर्श अमावस्या
- 20 नवंबर 2025, गुरुवर मार्गशीर्ष अमावस्या
- 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार पौष अमावस्या
- 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार दर्श अमावस्या
- 18 जनवरी 2026, रविवर दर्श अमावस्या
- 18 जनवरी 2026, रविवर माघ अमावस्या